कर्जों के बोझ से दबे बैंकों की आलोचना झेल रही केंद्र की मोदी सरकार के लिए यह राहत की खबर है कि पहली बार नॉन परफॉर्मिंग असेट्स (NPA) में कमी देखने को मिल रही है .यह सरकार की सख्ती और सुधार के लिए किये गए प्रयासों का ही नतीजा है कि एनपीए में गिरावट आई है.
उल्लेखनीय है कि एक रिपोर्ट के अनुसार एक समय ऐसा था कि जब एनपीए रिकार्ड स्तर पर पहुँच गया था ,लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद 2015 में सरकार के शुरू किए गए प्रयासों से अच्छे नतीजों के संकेत मिलने लगाना शुरू हो गए हैं.इसमें बैंकों से जुड़े सख्त नियमों और इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड का लागू होना भी प्रमुख कारण है .
रिपोर्ट के मुताबिक स्ट्रेस्ड लोन, जिसमें नॉन परफॉर्मिंग असेट्स (NPA) और रीस्ट्रक्चर्ड या रोल्ड ओवर लोन्स शामिल हैं, सितंबर के आखिर में 0.4 फीसदी कमी के साथ 9.46 लाख करोड़ रुपए पर आ गया. सेन्ट्रल बैंक के सूत्रों से यह जानकारी मिली . पहले यह आंकड़ा यह कुल लोन का 12.6 फीसदी हिस्सा था,जो अब 12.2 फीसदी है.2015 के बाद यह पहली बार हुआ है कि फंसे हुए कर्जों में कमी आई है. जबकि 2006 से अब तक इसमें लगातार वृद्धि होती आई है .
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