नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की कमान संभालते ही सबसे पहले गंगा सफाई अभियान के लिए अपने ड्रीम प्रोजेक्ट 'नमामि गंगे' की शुरुआत की। गंगा की सफाई करना नरेंद्र मोदी के चुनावी वादे में भी शामिल था। वही CAG ने सवाल उठाए है कि पीएम मोदी का नमामि गंगे अभियान रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा बता दे कि गंगा स्वच्छता के लिए आवंटित धनराशि में से महज 8 से 63 प्रतिशत ही खर्च हो सकी है।
इसके अलावा सीएजी ने आवंटित राशि के सही ढंग से खर्च न हो पाने और उसका लेखा परीक्षा न करा पाने को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं। 10 जुलाई 2014 को अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने नमामि गंगे के लिए 2037 और घाटों के सौंदर्यीकरण के लिए 100 करोड़ की अतिरिक्त राशि का प्रावधान किया था। सक्षम प्राधिकारी के जरिए प्रस्ताव लाने में देरी के वजह से एनएमसीजी उस वित्तीय वर्ष (2014-15) में इस राशि का उपयोग नहीं कर सका था।
आपको बता दे कि पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव में गंगा स्वच्छता को बड़ा मुद्दा बनाते हुए चुनाव में इसे बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया था। केंद्र में सरकार बनने के बाद पीएम मोदी ने न सिर्फ नमामि गंगे अभियान की शुरूआत की। बल्कि उसके अगले वर्ष गंगा स्वच्छता के लिए 20,000 करोड़ रूपए की राशि भी मंजूर कर दी। इसके बाद अलग से गंगा प्राधिकरण भी बनाया गया है। बावजूद उसके गंगा स्वच्छता की रफ्तार बेहद सुस्त है।
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