राजनीति में न तो कोई किसी का स्थायी दोस्त होता है और न ही स्थायी दुश्मन. इसे हाल में ही में सपा से राज्य सभा का टिकट न मिलने से नाराज नरेश अग्रवाल के अब भाजपा का दामन थामने से समझा जा सकता है. वैसे भी नरेश अग्रवाल अपने विवादास्पद बयानों और पार्टी बदलने को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं. सपा द्वारा जया बच्चन को फिर राज्यसभा का उम्मीदवार बनाए जाने पर उन्होंने हाल ही में आपत्तिजनक टिप्पणी की जिसका सुषमा स्वराज,स्मृति ईरानी और रूपा गांगुली ने ऐतराज जताया.
गौरतलब है कि नरेश अग्रवाल को दल बदलने में महारत हासिल है.अपने 30 साल के राजनीतिक जीवन में वो कई बार पार्टी बदल चुके हैं.इससे पहले वह जगदम्बिका पाल, राजीव शुक्ला और श्याम सुंदर शर्मा के साथ अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस में थे. जिसने वर्ष 1997 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के साथ गठबंधन किया था. 7 बार हरदोई से विधायक और एक बार सपा के टिकट पर यूपी से राज्यसभा के सांसद रहे हैं. उनकी खासियत यह है कि वे अक्सर सत्तादल के साथ रहते हैं. इसके लिए वे अपनी राजनीतिक गोटियां कैसे फिट करते हैं, ये तो वही जानें .
बता दें कि नरेश अग्रवाल का विवादास्पद बयानों से पुराना नाता रहा है.हाल ही में जया बच्चन को लेकर की गई उनकी आपत्तिजनक टिप्पणी के संदर्भ में उनकी पुरानी टिप्पणियों का उल्लेख उचित है.नरेश अग्रवाल ने कुलभूषण जाधव मामले में कहा था कि 'अगर उन्होंने (पाकिस्तान) कुलभूषण जाधव को आतंकवादी अपने देश में माना है, तो वो उस हिसाब से जाधव के साथ व्यवहार करेंगे. हमारे देश में भी आतंकवादियों के साथ ऐसा ही व्यवहार करना चाहिए' इस बयान के बाद खूब बवाल मचा था.
आज भाजपा में शामिल होने वाले नरेश अग्रवाल सोमवार को पीएम मोदी के शान में तारीफों के पुल बांधते देखे गए, वही बीजेपी की सोच को संकीर्ण बता चुके हैं. नरेश अग्रवाल पीएम को कभी जाति सूचक शब्द कह चुके हैं . नेता तो ठीक नरेश अग्रवाल ने तो देवी देवताओं को भी नहीं छोड़ा है.राज्यसभा जैसे उच्च सदन में नरेश अग्रवाल ने विवादित बयान देकर हिंदू देवी देवताओं के नाम के साथ शराब को जोड़ा था.इसके बाद बीजेपी सांसदों ने सदन में जमकर हंगामा किया और उन्हें अपने बयान के लिए माफी मांगनी पड़ी थी.
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