उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी जहां हरसिद्धि माता है तो वहीं सम्राट विक्रमादित्य के युग में उज्जयिनी नगरी में नौ दरवाजों का भी निर्माण कर प्रत्येक पर देवियों की स्थापना की गई थी। ऐसी मान्यता सम्राट विक्रमादित्य के बारे में है। ऐसा ही एक सती दरवाजा भी है।
सती दरवाजे को सती गेट तो कहा ही जाता है तो वही यह बीच शहर में स्थित है। इसे महाकल वन के परकोटे का द्वारा भी माना जाता है। इस पर एक चैकोर स्तंभ है, जिस पर तीन पंक्तियों में द्वाद्वश शिवा महाशक्ति के मुख है। द्वाद्वश शिवा को ही सती कहा गया है। द्वाद्वश महाशक्ति का उल्लेख त्रिपुरा रहस्य में भी मिलता है।
इसके अलावा स्कंद पुराण के अवंति खंड में भी कई देवी देवताओं का उल्लेख है, जिनमें से सती दरवाजा भी प्रमुख है। दरवाजे के उपरी छोर पर विराजमान देवी के दर्शन हर दिन ही सुलभ है लेकिन नवरात्रि में यहां हर दिन ही विशेष पूजा आराधना होती है तथा भक्तों का तांता लगा रहता है। उपर तक पहुंचने के लिए बहुत छोटा सा रास्ता और चढ़ाव है, बावजूद इसके अभी तक माता की कृपा से किसी तरह का नुकसान किसी दर्शनार्थी को नहीं हो सका है, इसे देवी का चमत्कार ही माना जाता है।