आप सभी को बता दें कि आज नवरात्र का तीसरा दिन है और तृतीया को मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा-अर्चना करते है. ऐसे में मां का यह स्वरूप परमशक्तिदायी और तेजपूर्ण होता है और मां के मस्तक पर घंटे के आकार में अर्द्धचंद्र सुशोभित रहते है, इस कारण देवी के इस स्वरूप को चंद्रघंटा कहते है. इसी के साथ आपको यह भी बता दें कि मां का तेज स्वर्ण समान आभा लेकर आता है इस वजह से यह माना जाता है है कि मां चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों को तेज और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि मां के घंटे की ध्वनि अपने भक्तों को सभी प्रकार की प्रेतबाधाओं से दूर कर देती है.
आज के दिन चौकी पर स्वच्छ वस्त्र पीत बिछाकर मां चंद्रघंटा की प्रतिमा को स्थापित करन चाहिए और उस स्थान को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध कर देना चाहिए. इसके बाद व्रत का संकल्प लेकर वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां चंद्रघंटा सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा कर लेना चाहिए और उसके बाद मां को गंगाजल, दूध, दही, घी शहद से स्नान कराने के पश्चात वस्त्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, पुष्प, मिष्ठान और फल का अर्पण कर देना चाहिए. आज के दिन माँ का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जप करें आपको लाभ होगा.
पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
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