पटना : नीतीश कुमार ने मानव श्रृंखला के सफल आयोजन के बाद कहा था कि संकल्प के सच हो जाने कि जमीनी हकिगत के बारे में आकड़ो के अध्ययन के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.. मगर लगता है कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता की ये मुहीम सफल हो रही और अपने मकसद की और कदम बड़ा चुकी है. एक परिवार जहा ज्यादा पड़ेगी तो ज्यादा दहेज़ देना होगा की रूढ़िवादी मानसिकता के साथ समिता नामक युवती को सिर्फ दसवीं तक ही पड़ा कर उसके हाथ पिले करना चाहता था .
वही युवती ने खुद के डैम पर पड़े का खर्च उठा परिवार वालो को समझा कर शाहपुर स्थित अपने घर से कुछ ही किलोमीटर दूर दानापुर में 12वीं में एडमिशन लिया और डॉक्टर बनने की इच्छा को पूरा करने के लिए बॉयोलॉजी की पढ़ाई शुरू की. पर इंटर के बाद फिर एक बार परिवार, गांव और समाज ने विरोध किया .
पढ़कर क्या करोगी, एक दिन शादी ही तो करनी है जैसी बातो की परवाह किये बिना समिता ने हार नहीं मानी और खुद की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए एक प्राइवेट इंस्टीट्यूट में पढ़ाने लगी. पोस्ट ग्रैजुएशन के लिए नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया. शादी से इनकार कर दिया और आखिर में अपने पसंद के लड़के से शादी की और परिवार को दहेज़ से भी बचा लिया .
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