दुनियाभर के स्कूल में कक्षाओं के भीतर सीसीटीवी लगाने में कुछ भी गलत नहीं है. यह टिप्पणी कर जनहित याचिका में किए गए बच्चों की निजता के हनन के दावे को हाईकोर्ट ने अब खारिज कर दिया. दिल्ली सरकार ने सुरक्षा व निगरानी के लिये स्कूल और कॉलेज के कक्षाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रस्ताव बनाया था, जिसे हाईकोर्ट में काफी लम्बे समय से चुनौती दी गई थी. याची ने दिल्ली सरकार के साथ ही दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के 344 स्कूलों में 4348 सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना पर रोक लगाने की मांग कर दी थी. न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की खंडपीठ का कहना हैं कि कक्षाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाने से निजता का हनन नहीं होगा और वहां कुछ भी निजी कार्य भी नहीं होता है.
बच्चों की निजता व उनकी सुरक्षा के बीच बेहतर तालमेल बैठाने की जरूरत हम सभी को है. खंडपीठ का कहना हैं कि कक्षाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाना पूरी तरह से सही कदम है, क्योंकि सरकारी स्कूल के अध्यापकों पर अक्सर यह आरोप लगते है कि वह नहीं पढ़ते है. सीसीटीवी कैमरे लगने से पढ़ाई व अध्यापकों की सही तस्वीर सामने आ ही जाएगी. वैसे इससे पहले दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता संजोय घोष ने भी कोर्ट को यह बताया कि कक्षाओं में लगने वाले सीसीटीवी फुटेज को पासवर्ड के जरिए सुरक्षित कर दिया जाएगा. वहीं यह फुटेज केवल अभिभावकों को ही दी जाएगी.
याची डेनियल जॉर्ज ने अधिवक्ता जय देहादराय के द्वारा याचिका दायर कर योजना पर कई सवाल खड़े कर दिए थे. उनके अनुसार उनकी मुख्य दलील यह थी कि कक्षाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाने से छात्रों का निजता का हनन होना तय है, क्योंकि इन सभी में छात्राएं भी शामिल होती हैं इस वजह से इन कैमरों की खरीद के प्रस्ताव पर रोक लगाई जानी चाहिए.
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