दिल्ली: चार दशक पहले एवरेस्ट की भयंकर ठंड की वजह से अपने दोनों पैर गंवा बैठा एक चीनी पर्वतारोही अब इस पर्वत चोटी पर जाने के अपने सपने को पूरा कर पाएगा. दरअसल, नेपाल की शीर्ष अदालत ने नेत्रहीन और पैरों से विकलांग व्यक्तियों के पर्वतारोहण पर विवादास्पद सरकारी प्रतिबंध के विपरीत फैसला सुनाया है.
शिया बोयू(69) दोनों पैरों से विकलांग पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें इस पाबंदी के हटने के बाद विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर चढ़ने की इजाजत दी गई है. शिया ने इस पाबंदी को विकलांगों के प्रति भेदभावकारी बताया था. यह प्रतिबंध दिसंबर में लगाया गया था और उसकी कड़ी आलोचना हुई थी.
शिया ने कहा, 'मैंने जब यह खबर सुनी तब मैं घबरा गया क्योंकि इसका मतलब यह था कि मैं अपना सपना पूरा नहीं कर सकता. मैंने सोचा कि अब कैसे मैं पर्वतारोहण की इजाजत हासिल कर सकता हूं' लेकिन विकलांगों के पक्ष में काम करने वाले संगठनों ने पिछले महीने नेपाल की शीर्ष अदालत में इस पाबंदी को हटवा दिया और दलील दी कि यह विकलांग लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र संधि के विरुद्ध है. शिया की 8,848 मीटर शिखर पर चढ़ने की यह पांचवीं कोशिश होगी. वह 1975 में उसी चीनी दल का हिस्सा थे जिसे शिखर से महज थोड़ा पहले प्रतिकूल मौसम से दो-चार होना पड़ा था. उस दौरान वह दोनों पैर गंवा बैठे.
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