शास्त्रों के अनुसार सूर्य एक मात्र प्रत्यक्ष देवता के रूप में इस युग में साक्षात् दर्शन देते है. माना जाता है की ज्येष्ठ मास में सूर्य सबसे तीव्र अवस्था में रहता है और इस माह में आने वाले रविवार को विधि-विधान से सूर्यदेव की पूजा करने से सफलता, मानसिक शांति, प्रतिष्ठा और शक्ति की प्राप्ति होती है. सूर्यदेवता को प्रसन्न करने के लिए उनके वैदिक मंत्रो का जाप करने से भी बहुत शुभ फल प्राप्त होता है तो आइये जानते है सूर्यदेव के वैदिक मन्त्र के बारे में जिसका जाप करने से आपके कई कष्ट दूर हो सकते है.
भगवान सूर्य का वैदिक मंत्र – ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च .
हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ..
सूर्य के इस मंत्र का जाप आप अपनी सुविधानुसार कर सकते है, परंतु कुछ बातों का अवश्य ध्यान चाहिए .मन्त्र उच्चारण के समय मन को शांत और स्वच्छ बनाये रखना चाहिए. वैसे तो आप अपनी सुविधा के अनुसार कितनी भी बार इस मंत्र का जाप कर सकते है लेकिन अगर मंत्र जाप की संख्या 7,000 तक हो तो यह अत्यंत प्रभवकारी सिद्ध होता है. इस मन्त्र का जाप आप किसी भी समय कर सकते है. इसके जाप का कोई विशेष समय निर्धारित नहीं है .
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