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strong>नई दिल्ली: रिलायंस के खिलाफ ओएनजीसी के क्षेत्र से गैस चोरी करने का आरोप लगा है. गैस चोरी के इस मामले को लेकर सरकार एक बार फिर रिलायंस के खिलाफ अदालत में जायेगी. अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत ने इससे जुड़े एक मामले में सरकार द्वारा रिलायंस से 1.5 अरब डॉलर जुर्माने की मांग को मंज़ूरी नहीं दी थी. जिसके बाद पेट्रोलियम मंत्रालय ने विधि मंत्रालय से इस मुद्दे पर सलाह और सुझाव की मांग की थी.
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आपको बता दें कि विधि मंत्रालय ने मध्यस्थता अदालत के फैसले के खिलाफ शिकायत करने सहमति भी दे दी है. गौरतलब है कि जुलाई में तीन न्यायधीशों के बेंच वाली मध्यस्थता अदालत ने बहुमत से यह फैसला दिया था कि 'रिलायंस उसके अपने क्षेत्र के साथ ही, उसके साथ लगे ओएनजीसी के क्षेत्र में निकलने वाली कोई भी गैस का उत्पादन और बिक्री कर सकता है. रिलायंस को सरकार से अनुमति लेना ज़रूरी नहीं है', लेकिन उन तीन न्यायधीशों में से एक जीएस संघवी आशंका जताई थी कि पीएससी ( प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट ) रिलायंस को दूसरे क्षेत्र की गैस निकालने या बेचने सम्बन्धी किसी भी प्रकार की कोई अनुमति नहीं देता बल्कि रोकता है.
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बता दें संघवी ने यह भी कहा था कि रिलायंस ने दूसरे के (आयल एंड नेचरल गैस कारपोरेशन लिमिटेड) क्षेत्र से आई गैस को बेचा है और लाभ कमाया है कमाया है, इसलिए रिलायंस को जुर्माना तो देना ही पड़ेगा. गैस के एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में आने की जानकारी सरकार को देना कंपनी की जिम्मेदारी होती है, लेकिन रिलायंस ने इस क़ानून का उल्लंघन करते हुए अवैधानिक लाभ कमाया है, सरकार द्वारा जुर्माना वसूलने पर रोक लगा दी गई है, लिहाजा अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
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