इस जगत में धर्म कर्म को करने के बहुत से रास्ते होते है. बस आपके मन के भाव सही होना चाहिए व्यक्ति के जीवन में केवल भावों व मन के विचारों की प्रधानता होती है. इस संसार में माला का जाप करने की प्रथा जन्म जन्मान्तर से चली आ रही है. हर धर्म में माला जपने का रिवाज सदियों से चला आ रहा है। यदि आप माला लेकर अपने इष्ट देव का नाम लेते है. तो आपके प्रत्येक कठिन से कठिन कार्य अवश्य रूप से पूर्ण हो जाते है.और आप सद गाती को प्राप्त करते है. बस आपके विचार सही होना चाहिए ये न हो की माला ले ली और ध्यान कहीं ओर है. और आप केवल दिखावा कर रहें है .
इसलिए किसी ने कहा है -
माला फेरत जग गया पंडित हुआ न कोय .
ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े तो पंडित होय.
कहने का अर्थ यह है की यदि व्यक्ति पुरे जीवन भर माला का जाप बिना मन के कहीं ओर ध्यान लगाकर करता है तो उसके इस जाप का कोई अस्तित्व नहीं और यदि वह सच्चे मन से भगवान के नाम का स्मरण करता है. तो वही सबसे बड़ा ज्ञानी व्यक्ति माना जाता है. और उसे सद गति मिलती है.
वह जीवन में आनंद की प्राप्ति करता है, शास्त्रों में वर्णित है की यदि आप नित्य नियम के साथ अपने इष्ट देव का ध्यान माला के साथ करते है तो आपको धन की प्राप्ति होती है। आपके जीवन सुख शांति आती है जीवन वैभव और सम्पनता के साथ व्यतीत होता है . मला का जाप करने से आपके जीवन में सर्वदा माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। श्री लक्ष्मी जी की साधना के लिए हमेशा सिद्ध की गई माला से लक्ष्मी साधना संपन्न ही जाती है।
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