ओजोन लेयर को हो रहा नुकसान: नासा

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वाशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि क्लोरीन युक्त मानवनिर्मित रसायन क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगने से ओजोन परत के क्षरण में करीब 20 फीसदी की कमी आई है। सीएफसी लंबे समय तक टिके रहने वाले ऐसे रासायनिक तत्व हैं जो अपने आप समतापमंडल में बनते हैं। वहां वे सूर्य की पराबैंगनी किरणों से टूट जाते हैं। इससे क्लोरीन के परमाणु उत्पन्न होते हैं जो ओजोन के अणुओं को क्षति पहुंचाते हैं।

स्ट्रैटोस्फेरिक ओजोन हानिकारक पराबैंगनी किरणों को सोख कर पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करता है। पराबैंगनी किरणों के पृथ्वी तक पहुंचने से कैंसर और मोतियाबिंद हो सकता है, रोग प्रतिरोधी क्षमता पर असर पड़ सकता है और पौधों के जीवन को नुकसान पहुंच सकता है। 

नासा की सुसन स्ट्राहन ने कहा, हमने पाया कि ओजोन छिद्र में सीएफसी से क्लोरीन की मात्रा कम हो रही है और इसके कारण ओजोन परत का कम क्षरण हो रहा है। यह पता लगाने के लिए कि ओजोन और अन्य रसायन कैसे साल दर साल बदल रहे हैं, इसके लिए वैज्ञानिकों ने माइक्रोवेव लिम्ब साउंडर (एमएलएस) के आंकड़ों का इस्तेमाल किया जो वर्ष 2004 के मध्य से लगातार पृथ्वी के चारों ओर का माप दर्ज कर रहा है। वैज्ञानिकों ने पाया कि ओजोन परत का क्षरण कम हो रहा है लेकिन उन्हें यह पता लगाना है कि क्या सीएफसी में कमी इसका कारण है।

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