लाहौर. पाकिस्तान और भारत एक दूसरे के जल क्षेत्र में अवैध तौर पर मछली पकड़ने के लिए अक्सर मछुआरों को पकड़ते हैं . अरब सागर की सीमा स्पष्ट नहीं होने और लकड़ी की नौकाओं में जीपीएस जैसी तकनीक नहीं होने से कई बार मछुआरे भटककर दूसरे क्षेत्र में पहुंच जाते हैं . इसके बाद इन्हे गिरफ्तार कर लिया जाता है. ऐसे ही 145 भारतीय मछुआरों को पाक जेल से रिहा कर दिया गया.
जेल से रिहा होने के बाद मछुआरे वाघा सीमा पार कर भारत पहुंचे. इन मछुआरों को सुबह कराची से ट्रेन से यहां लाया गया था. इधी फाउंडेशन ने उन्हें कपड़े और 500-500 रुपए दिए. इधी लाहौर के प्रवक्ता मुहम्मद युनस ने से कहा, ‘हमने उन्हें भोजन कराया जिसके बाद वह वाघा सीमा पार कर अपने देश गए.’
उन्होंने कहा कि थोड़ा अधिक वक्त लग गया क्योंकि उनके कागजात के परीक्षण के बाद पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें भारतीय अधिकारियों को सौंपा. दोनों तरफ के मछुआरे अक्सर होते हैं गिरफ्तार वाघा सीमा पर कतार में बैठे एक मछुआरे ने कहा, ‘करीब ग्यारह महीने पहले मेरी नौका का इंजन बंद हो गया था और मुझे (पाकिस्तान मैरीटाइम सेक्युरिटी एजेंसी द्वारा) गिरफ्तार कर लिया गया. मुझे घर वापस लौटते हुए खुशी हो रही है.’ ये सभी 145 मछुआरे पाकिस्तान के सिंध प्रांत की मालिर जेल में थे.
भारतीय मछुआरों को पाकिस्तान मैरीटाइम सेक्युरिटी एजेंसी गिरफ्तार करती है. जिस पर पाकिस्तान की समुद्री सीमा की हिफाजत का जिम्मा है. भारत और पाकिस्तान नियमित रुप से एक दूसरे के उन मछुआरों को गिरफ्तार कर लेते हैं तो सरक्रीक में अस्पष्ट और विवादित सीमा पार कर जाते हैं.
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