जयपुर : राजस्थान में पिछले दिनों लोक सभा और विधान सभा चुनाव में मुंह की खाने के बाद भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार को भ्रष्ट अफसरों-नेताओं को संरक्षण देने वाले विवादित 'क्रिमिनल लॉ (राजस्थान अमेंडमेंट) बिल 2017'बिल को आखिर वापस ले लिया. इस बिल का विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष के विधायक भी विरोध में थे .
उल्लेखनीय है कि इस विवादित बिल में राज्य में किसी भी जज, मजिस्ट्रेट और सरकारी कर्मचारी के खिलाफ उनसे जुड़े किसी मामले में जांच से पहले संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेना जरूरी किया गया था.हालाँकि अध्यादेश की अवधि 4 दिसंबर को खुद ही खत्म हो गई थी, लेकिन बिल के प्रवर समिति में विचाराधीन होने के कारण सरकार को विरोध का सामना करना पड़ रहा था. नतीजतनऔपचारिक वापसी की घोषणा करनी ही पड़ी.
बता दें कि इस विवादित बिल पर कांग्रेस ने अध्यादेश लागू करने के समय भी जमकर हंगामा किया था, वहीं, बीजेपी नेताओं ने भी विधायक दल की बैठक के साथ ही सदन में भी बिल का जमकर विरोध कियाथा . विधायकों का कहना था कि नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ यूँ ही आसानी से कार्रवाई नहीं हो पाती ऐसे में ये अध्यादेश उन्हें बचाने का ही काम करेगा. संयुक्त विरोध और आगामी चुनावों के मद्देनज़र इसे वापस लेना पड़ा. हालाँकि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का कहना था कि हमने प्रवर समिति को रेफर किया था लेकिन हमने ही अध्यादेश को लैप्स होने दिया ऐसे में जब कानून ही नहीं बना तो हम क्या वापस लें.
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