नई दिल्ली : डिजिटल वॉलेट कंपनी पेटीएम से सवा छह लाख की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है.इस मामले की सीबीआई जांच भी शुरू हो गई है.लेकिन इस जांच पर विरोधी सवाल उठा रहे हैं.बता दें कि नोटबंदी के बाद से पेटीएम का कारोबार कई गुना बढ़ चुका हैऔर इसके उपयोगकर्ताओं की संख्या दस करोड़ के पार पहुंच गई है.
पेटीएम के अनुसार , 2014 से 2016 के बीच 48 मामलों में ग्राहकों को सामान की डिलीवरी की गई इसके बावजूद उन्हें रिफंड भी किया गया. मतलब कि ग्राहकों को उनके ऑर्डर का सामान भेजा गया, उन्होंने उत्पाद खराब होने की शिकायत की,लेकिन सामान लौटाया भी नहीं और रिफंड भी ले लिया.इस तरह कंपनी के साथ 6 लाख 15 हजार रुपये की धोखाधड़ी की गई. इस मामले में पेटीएम की शिकायत पर सीबीआई ने साउथ दिल्ली के कालकाजी, गोविंदपुरी और साकेत में रहने वाले 15 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. पेटीएम की पेरेंट कंपनी वन 97 कम्युनिकेशन के कुछ कर्मचारियों पर भी केस दर्ज हुआ है.
इस मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब मोदी जी खुद पेटीएम के एड में आ गए हैं तो अब केंद्र सरकार उसकी जेब में है. सीबीआई की हिम्मत नहीं कि कंपनी के ऑर्डर को न माने. आमतौर पर सीबीआई ऐसे मामलों में केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट या किसी हाईकोर्ट के ऑर्डर पर ही केस दर्ज करती है. लेकिन पेटीएम के मामले में ऐसा नहीं हुआ.जब इस मामले की सोशल मीडिया पर खूब आलोचना हुई तो सीबीआई ने सफाई दी है.सीबीआई दिल्ली क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत मुकदमे दर्ज कर सकती है, इसमें व्यक्तिगत मुकदमे भी शामिल हैं.