आप सभी इस बात से वाकिफ ही होंगे कि पितृमुक्ति का महापर्व पितृपक्ष आज से यानी रविवार से शुरू हो रहा है. आप सभी इस बात को जानते ही होंगे कि पितृपक्ष में मेला लगता है और उस मेले के दौरान देश दुनिया के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं को कर्मकांड करने के लिए फल्गु नदी के तट पर अवस्थित देवघाट, ब्राह्मणी घाट, पितामहेश्वर व सीताकुंड घाट का महत्व है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी (अनंत चतुर्दशी) से प्रारंभ हाेकर आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलने वाले 17 दिवसीय राजकीय पितृपक्ष महासंगम की शुरुआत शाम चार बजे से होगी. इस दौरान कई लोग अपने पितरों का पिंडदान करेंगे. इस बारे में कई ऐसी जानकारियां है जो उन लोगों को जान लेनी चाहिए जिन्हे अपने पितरों का पिंडदान करना है. आज हम आपको बताने जा रहे है कि उस दौरान किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए.
1. कहा जाता है कि इन दिनों में शुभ कार्य जैसे वाहन खरीदना, नए मकान की बुनियाद डालना, भूमि खरीदना, वैवाहिक कार्य नहीं करना चाहिए साथ ही पित्रों का श्राद्ध करने से व्यक्ति तीनों ऋणों से मुक्त हो जाता है.
2. इन दिनों में अपने पितरों का पिंडदान करने वालों के कार्य तब तक सफल नहीं होते जब तक वह कुशा की पवित्री(कुश के घास से बनीं अंगूठी) को धारण न करें. कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति श्राद्ध करने में असमर्थ है तो उसे पित्रों की तिथि के अनुसार गाय को चारा देना चाहिए.
3. यह भी कहते है कि जिन लोगों की मृत्यु के दिन की सही जानकारी न हो उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि को करना चाहिए साथ ही अकाल मृत्य़ु होने पर भी अमावस्या के दिन श्राद्ध किया जाता है.
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