आप सभी जानते ही होंगे कि अपने परिवार के कल्याण हेतु पितरों का श्रद्धापूर्वक तर्पण करना चाहिए और यदि उन्हें सम्मानपूर्वक तर्पण मिलता है तो वे गृहस्थ वंशज को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. तो आइए आज जानते है श्राद्ध के प्रकार.
कहते है कि श्राद्ध तीन प्रकार के होते है.
पहला नित्य- यह श्राद्ध के दिनों में मृतक के निधन की तिथि पर किया जाता है.
दूसरा नैमित्तिक- यह श्राद्ध किसी विशेष पारिवारिक उत्सव, जैसे पुत्र जन्म पर मृतक को याद कर किया जाता है.
तीसरा काम्य- यह श्राद्ध किसी विशेष मनौती के लिए कृत्तिका या रोहिणी नक्षत्र में किया जाता है.
अब आइए जानते है कौन-कौन हैं श्राद्ध करने के अधिकारी - ज्योतिषों के अनुसार पिता का श्राद्ध पुत्र को करना चाहिएऔर अगर पुत्र न हो तो पत्नी श्राद्ध कर सकती है और अगर पत्नी न हो तो सगे भाई को श्राद्ध करना चाहिए. वहीं एक से अधिक पुत्र होने पर सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है और पुत्री का पति एवं पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध के अधिकारी होते हैं वहीं पुत्र के न होने पर पौत्र या प्रपौत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं. इसी के साथ यह भी कहा जाता है कि पुत्र, पौत्र या प्रपौत्र के न होने पर विधवा स्त्री श्राद्ध करने की अधिकारी होती है. पत्नी का श्राद्ध व्यक्ति तभी कर सकता है, जब कोई पुत्र न हो और पुत्र, पौत्र या पुत्री का पुत्र न होने पर भतीजा भी श्राद्ध कर सकता है. कहते है कि गोद लिया पुत्र भी श्राद्ध का अधिकारी होता है वह भी श्राद्ध कर सकता है.
आज शनि भगवान की पूजा में गाये यह आरती, होंगे सब कष्ट दूर
आखिर क्यों करते हैं श्राद्ध और कब है श्राद्धपक्ष
यह है अनन्त चतुर्दशी और गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त, ऐसा करने से मिलेगा लाभ