राम के नाम पर पश्चिम बंगाल में फैली हिंसा में राज्य अब तक जल रहा है, आसनसोल, रानीगंज, बर्धमान समेत कई जगहों पर अभी भी हालात बेकाबू है और आगजनी और हिंसा की वारदाते जारी है. आसनसोल के पुलिस कमिश्नर के अनुसार, इंटरनेट सर्विस को अगले 48 घटों के लिए बंद कर दिया गया है. वहीं आसनसोल में ही करीब 30 लोगों को अरेस्ट किया गया है. बताया जा रहा है कि अभी भी कई छोटे गांवों में हालात बिगड़े हुए हैं, यही कारण है कि सुरक्षा को सख्त किया गया है. इसी बीच खबर है कि राज्य के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी को आसनसोल जाने से रोकते हुए राज्य सरकार ने सुरक्षा मुहैया कराने से इनकार कर दिया है. कोलकाता में राजभवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, ‘राज्य सरकार ने सूचित किया है कि क्षेत्र में पुलिस की तैनाती को देखते हुए माननीय राज्यपाल को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराना मुश्किल होगा.
यह भी बताया गया कि पास के रानीगंज और आसनसोल क्षेत्रों में स्थिति अब भी तनावपूर्ण है. ऐसे में माननीय राज्यपाल के दुर्गापुर दौरे पर जाने की सलाह नहीं दी जा सकती. माननीय राज्यपाल समाज के सभी वर्गों से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं.’ हिंसा के बाद बीजेपी लगातार ममता बनर्जी पर वार कर रही है, खबरों की माने तो केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो भी गुरुवार को आसनसोल का दौरा कर सकते हैं. सुप्रियो हिंसा को लेकर लगातार ममता सरकार पर हमलावर रहे हैं. सुप्रियो ने इस संबंध में ट्वीट किया और लिखा कि वह जिहादी सरकार को दिखा देंगे कि बंगाल की आत्मा अभी जिंदा है. उन्होंने ये भी कहा कि सोशल मीडिया पर सैकड़ों तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें से अगर 25 फीसदी भी सही निकलीं तो पता चलेगा कि हालात कितने खराब हैं.
सुप्रियो ने इस संबंध में गृह मंत्री राजनाथ सिंह से फोन पर बात की है बुधवार को केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार से रिपोर्ट भी मांगी थी. हिंसा फैलने के बाद राज्य में जिस तरह की परिस्थिति बनी है उस पूरे मुद्दे पर केंद्र को ओर से रिपोर्ट तलब की गई थी. इसके अलावा केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से कहा है कि अगर उन्हें पैरामिलिट्री फोर्स की जरूरत है, तो वह मुहैया करा सकती है. हालांकि, बंगाल सरकार ने केंद्र की पेशकश को ठुकरा दिया है. 25 मार्च को रामनवमी के मौके पर जुलूस को लेकर बर्धमान जिले के रानीगंज इलाके में तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी. हालात आगजनी और फायरिंग तक पहुंच गए थे, जिसमें एक व्यक्ति की मौत होने की बात सामने आई है इसके बाद सूबे की परिस्थियां लगातार बेकाबू हो रही है. हिंसा की शुरुआत राम नवमी के दिन हुई है, मगर श्रीराम ने स्वयं भी कभी नहीं सोचा होगा की राम का भारतवर्ष एक दिन राम के नाम से झुलसता नज़र आएगा और उसका ठीकरा अंत में सियासी फायदे के लिए रामनवमी के नाम पर फोड़ा जायेगा.
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