नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली पद संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर शुक्रवार को भारत आ गए है. भारत के तीन दिवसीय दौरे पर उनकी पत्नी राधिका शाक्य ओली भी साथ होंगी. इस दौरान वह दोनों देशों के बीच साझेदारी को मजबूत करने के लिए शीर्ष भारतीय नेतृत्व से बातचीत करेंगे. नेपाल में चीन की बढ़ती मौजदूगी से भारत और नेपाल के रिश्तों के ऐतिहासिक दौर पर प्रश्न चिन्ह लगा दिए है. इन बढ़ती दूरियों की वजह की बात करे तो-
-नेपाल के नए संविधान को लेकर भारत के विरोध से इसकी शुरुआत हुई.
-नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पिछले दिनों पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी की आवभगत की.
-अब्बासी का नेपाल का दौरा बिल्कुल बेवक्त था. ऐसे समय में जब भारत-पाकिस्तान के रिश्ते सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं,
-पाक भारत से दूरी बनाते हुए नेपाल की स्वतंत्र पहचान का समर्थन करेगा
-2015-16 में भारत-नेपाल सीमा पर हुए ब्लॉकेड के बाद से वहां की आवाम की तरफ से यह दबाव बढ़ा है कि भारत पर पूरी तरह से निर्भरता हटाते हुए अन्य देशों के साथ रिश्ते मजबूत किए जाएं.
-पिछले कुछ सालों से नेपाल की चीन से भी बढ़ती नजदीकी के पीछे भी यही दबाव है.
-इसके अलावा इन दिनों नेपाल में एक आम धारणा यह बन चुकी है कि अब नेपाल पहले की तरह भारत पर निर्भर नहीं रहा
-ओली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अतीत की कड़वाहट भुलाकर नई शुरुआत करने का संकेत दिया जिसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 1 फरवरी को काठमांडू का दौरा किया था
-2015 के नेपाल संविधान में मधेशियों का उचित प्रतिनिधित्व भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता रही है.
-इसके अतिरिक्त, भारत-नेपाल के बीच के पुराने समझौतों को लेकर भी बात चल रही है.
-नेपाल इन समझौतों को एकतरफा और गैर-बराबरी वाला बताता है.
-नेपाल के भारत के अलावा तीसरे देशों के साथ हथियारों की खरीददारी को लेकर भी बातचीत हो रही है.
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नेपाल और चीन के रिश्तों से भारत चिंतित