दिल्ली : आम आदमी पार्टी इस वक़्त गहरे राजनैतिक संकट से गुजर रही है. अरविंद केजरीवाल सरकार पर फ़िलहाल संकट के बादल मंडरा रहे है. चुनाव के दौरान 70 में से 67 सीटें जीतकर ऐतिहासिक जनाधार के साथ दिल्ली की कुर्सी पर काबिज होने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यकायक मुसीबतो का पहाड़ टूट पड़ा है. गौरतलब है कि आप के 20 विधायकों को लाभ के पद के मामले में अपनी सदस्यता से हाथ धोना पड़ा है.
जिसके बाद बदले समीकरणों में आम आदमी पार्टी में विधायकों कि संख्या 46 हो गई है. एक विधायक पहले ही बागी हो चूका है. ऐसे में अगर इन 13 विधायकों की सदस्यता भी गई तो केजरीवाल की सरकार अल्पमत में आ जाएगी. नियम के अनुसार समितियों में इलाके के विधायक अध्यक्ष नहीं हो सकते हैं. इन में से 11 विधायक ऐसे हैं जो संसदीय सचिव थे, अब इनकी सदस्यता समाप्त हो चुकी है. बचे हुए 16 में से दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल व विधायक पंकज पुष्कर दावा कर चुके हैं कि वह किसी अस्पताल के अध्यक्ष नहीं रहे हैं. वेद प्रकाश विधायक के पद से इस्तीफा दे चुके हैं.
ऐसे में 13 विधायक रोगी कल्याण समिति मामले में फंस सकते हैं. बहरहाल दिल्ली कि राजनैतिक गतिविधिया तेजी से बदल रही है. इन सब के बीच बीजेपी और कांग्रेस उपचुनाव की आस लगाए बैठी है.
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