बहुत बार ऐसा होता है की दिन रात की कड़ी मेहनत के बाद भी हमें मनचाहा फल प्राप्त नहीं हो पाता है. ऐसे में धन संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और घर-परिवार में तनाव बढ़ता जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस प्रकार की समस्याओं से निजात पाने के लिए कई प्रकार की परंपराएं बनाई गई हैं. इन्हीं परंपराओं में से एक है प्रतिदिन प्रात: काल पंच देवी-देवताओं की पूजा करना.
वेद-पुराण के अनुसार पांच प्रमुख देवी-देवता बताए गए हैं. किसी भी कार्य की सिद्धि और पूर्णता के लिए इन पांचों देवताओं का पूजन किया जाना अनिवार्य है. इनकी पूजा के कार्य में आने वाली सभी बाधाएं स्वत: समाप्त हो जाती हैं और सफलता प्राप्त होती है. इन पंच देवी-देवताओं में शामिल हैं- प्रथम पूज्य श्रीगणेश, भगवान श्री विष्णु, महादेव, सूर्यदेव और देवी मां. इन पांचों की नित्य पूजा करने वाले व्यक्ति को जीवन में कभी भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है. इन पर किसी भी दुख और दर्द का प्रभाव नहीं हो पाता.
इन पांचों देवताओं को हमारे शरीर से ही जोड़ा गया है. मानव का शरीर पंच तत्वों से बना है. ये पंच तत्व हैं- जल, वायु, पृथ्वी, अग्नि, आकाश. ये ही पांच तत्व इन पंच देवों के प्रतीक माने गए हैं. व्यक्ति के शरीर निर्माण में सर्वप्रथम जल की आवश्यकता होती है, यही जल तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं प्रथम पूज्य श्रीगणेश. इसके बाद वायु तत्व के प्रतिनिधि हैं भगवान श्रीहरि. वायु के बाद आवश्यकता होती है पृथ्वी तत्व की, इसकी पूर्ति करते हैं भगवान शिव. अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करती हैं देवी मां. अंत में आकाश तत्व की पूर्ति करते हैं सूर्य देव.