शंख का सिर्फ़ धार्मिक महत्त्व ही नहीं है. बल्कि इसे वास्तु के रूप में भी महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा माना जाता है की जिस घर में रोज़ शंख बजाया जाता है , वहां के लोगो को कोई रोग नहीं होता है. इनके पूजन से सुख और समृद्धि आती है.
जो शंख दाहिने हाथ से पकड़ा जाता है, वह दक्षिणावृत्ति शंख कहलाता है. जिस शंख का मुंह बीच में खुलता है, वह मध्यावृत्ति शंख होता है तथा जो शंख बायें हाथ से पकड़ा जाता है, वह वामावृत्ति शंख कहलाता है. शंख का उदर दक्षिण दिशा की ओर हो तो दक्षिणावृत्त और जिसका उदर बायीं ओर खुलता हो तो वह वामावृत्त शंख है.
इनके अलावा लक्ष्मी शंख, गोमुखी शंख, कामधेनु शंख, विष्णु शंख, देव शंख, चक्र शंख, पौंड्र शंख, सुघोष शंख, गरुड़ शंख, मणिपुष्पक शंख, राक्षस शंख, शनि शंख, राहु शंख, केतु शंख, शेषनाग शंख, कच्छप शंख आदि प्रकार के होते हैं. शंख को विजय, समृद्धि, सुख, यश, कीर्ति तथा लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है.
महाकालेश्वर मंदिर जहाँ दर्शन करने से होती है..