हमारे धर्मशास्त्रों में सूर्य को जल चढ़ाने को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है, ऐसा माना जाता है की सूर्यदेव को जल चढाने से इसका सीधा असर हमारे व्यक्तित्व पर होता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य देव सभी ग्रहों के स्वामी होते है इसलिए उनके प्रसन्न होने से बाकी सभी ग्रहों की भी कृपा भी हम पर बनी रहती है. शास्त्रों में बताया गया है की हमेशा उगते हुए सूर्य को ही जल चढ़ाना चाहिए, उसके बाद सूर्यदेव को जल चढाने से कोई लाभ नहीं होता है.
1- शास्त्रों में बताया गया है की सूर्यदेव को जल अर्पित करते हुए लोटे से जो जलधारा ज़मीन पर गिरती है, उस जल की धारा के बीच से सूर्य को उदय होते देखने से आंखों की रोशनी तेज होती है.
2- सूर्य की किरणों से हमारे शरीर को विटामिन डी प्रदान करती है, पर इस बात का हमेशा ध्यान रखे की हमारे शरीर के लिए केवल सुबह की धुप ही फायदेमंद होती है फिर बाद में जैसे-जैसे सूर्य की गर्मी बढ़ती है वैसे ही ये हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक हो जाते है. इसी कारण से सुबह के समय ही सुरदेव की पूजा और जल चढ़ाया जाता है.
3- शास्त्रों के अनुसार सूर्य को हमेशा ताम्बे के लोटे से ही जल चढ़ाना चाहिए. जिस लोटे से आप सूर्यदेव को जल अर्पित करते है उसमे जल के साथ-साथ चावल, रोली, फूल-पत्तियां आदि भी डाल सकते हैं. इसके अलावा सूर्यदेव को जल अर्पित करते वक़्त गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए .या भगवान सूर्य के नामों का भी जप भी किया जा सकता है.
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