नई दिल्ली: हाल ही में दिल्ली की आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने के बाद, चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रपति को की गई सिफारिश पर रविवार को मुहर लगा दी गई है. ऐसे में राजनितिक गलियारों में हलचल देखने को मिली है. नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप के बाद, यही घमासान सोशल मीडिया पर भी देखा गया है. इसी बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हां ने ट्वीट कर राष्ट्रपति के फैसले को तुगलकी करार दिया है.
यशवंत सिन्हा ने अपने ट्वीट में कहा- "राष्ट्रपति का आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने का फैसला न्याय की प्रकृति के विरुद्ध है. ना ही इस मामले में कोई सुनवाई हुई और न ही अदालत के फैसले का इंतजार किया गया. आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता खत्म करने क ये फ़रमान तुगलकशाही है."
फैसले पर बीजेपी सांसद मिनाक्षी लेखी ने संविधान के मुताबिक करार दिया था. उन्होंने कहा था कि लगता है कि सत्ता में कुछ ऐसे लोग आ गए हैं जिन्हें शासन-प्रशासन की जानकारी नहीं है. वहीं कांग्रेस ने फैसले में देरी करने का आरोप लगाया. कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि अगर 22 दिसंबर से पहले यह फैसला लिया जाता तो आम आदमी पार्टी टूट जाती.
आप के 21 विधायक दिल्ली सरकार में संसदीय सचिव बनाए गए थे. विधायक होते हुए वो इस पद पर नहीं रह सकते थे क्योंकि ये लाभ का पद माना जाता है. इसी वजह से सदस्यता छीनने की सिफारिश की गई. विधायक जरनैल सिंह ने पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए पहले ही दिल्ली विधानसभा की सदस्यता छोड़ दी थी.
सरकार है बवाना अग्निकांड की ज़िम्मेदार - बीजेपी