दिल का दौरा आने के बाद के शुरूआती 5 से 10 मिनट काफी क्रिटिकल और महत्वपूर्ण रहते हैं. मस्तिष्क क्षतिग्रस्त होने से पहले BLS यानि बेसिक लाइफ सपोर्ट से व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है. इस तकनीक में पीड़ित व्यक्ति दिल के नीचे वाले स्थान पर हाथों से पम्प करना होता है. एक बार में 30 पम्प करना हैं और 2 बार मुंह से मुंह लगाकर सांस देनी है. कुल 100 से 120 पम्प करने से पीड़ित व्यक्ति की सांसें लौट आती है और उसे राहत मिलती है. ऐसे में अस्पताल पहुंचने तक के समय तक पीड़ित व्यक्ति का मस्तिष्क निष्क्रिय नहीं होता और उसे रहत भी मिलती है.
फिर अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर उसे आवश्यक इलाज देकर उसकी जान बचा सकते हैं. हार्ट अटैक की स्थिति में उसके लक्षण का ज्ञान होना भी अतिआवश्यक है. सीने में दर्द, पसीना आना, घबराहट होना हार्ट अटैक के मूल और प्राथमिक लक्षण हैं. बहरहाल इस तकनीक से किसी को भी नया जीवन दिया जा सकता है. इससे निष्क्रिय ह्रदय को पुनः सक्रिय करने में मदद मिलती है.
हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट जैसी इमरजेंसी किसी के भी घर, ऑफिस, दफ्तर, कार्यालय में आ सकती है. ऐसे में पीड़ित व्यक्ति को किस तरह का प्राथमिक उपचार दिया जाना चाहिए यदि इसका ज्ञान हो तो उसकी मृत्यु को टाला जा सकता है. अस्पताल पहुंचने तक लगने वाले समय में प्राथमिक रूप में ये उपचार संजीवनी का काम कर सकता है.
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