नई दिल्ली : इन दिनों भारतीय अर्थव्यवस्था में एक अजीब विरोधाभास देखने को मिल रहा है.एक तरफ जहां नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल(एनसीएलटी) में दिवालिया से जुड़े मामले बढ़ रहे हैं ,वहीं दूसरी ओर जजों की कमी के कारण मामलों का त्वरित निपटारा नहीं हो पा रहा है.
इस मामले में सामने आई एक रिपोर्ट पर यकीन करें तो एनसीएलटी की 10 पीठ (जजों और टेक्निकल स्टाफ समेत 26 लोग) दिवालियापन से जुड़े 2,500 से ज्यादा मामलों की सुनवाई कर रही है.अनुसंधानकर्ताओं का अनुमान है कि भारत में दिवालियापन से जुड़े मामलों के समय से निपटारे के लिए अगले 5 वर्षों तक करीब 80 पीठों की आवश्यकता होगी. बता दें कि सुस्त बैंकिंग संकट को ठीक करने के लिए एक सुव्यवस्थित दिवालिया प्रक्रिया बहुत अहम है. जजों की कमी को हल करने में विफलता से बड़े वैश्विक निवेशकों पर भी असर पड़ रहा है.
एनसीएलटी की स्थापना जून 2016 में की गई थी.2017 में भारत का नया दिवालिया कानून प्रभाव में आया. 31 जनवरी तक कोर्ट में ऐसे करीब 9073 मामले हैं, जिनमें 2511 दिवालियापन से जुड़े हैं, 1630 मामले विलय से जुड़े हैं और 4932 मामले कंपनी एक्ट की अन्य धाराओं से जुड़े हैं.हालाँकि सरकार भी बड़ी संख्या में जजों की नियुक्ति और एनसीएलटी की अन्य पीठ खोलने की तैयारी कर रही है.
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