मगलवार के दिन संसद में एक विधेयक पास किया गया, जिसके तहत प्राचीन स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों के 100 मीटर के दायरे में उसकी बुनियादी सुविधाओं से सम्बंधित निर्माण की अनुमति होगी. यह खबर एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित की गयी है. "प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल व अवशेष (संशोधन) विधेयक- 2017" को पास करने से पहले संसद में काफी बहस चली जिसके बाद आखिरकार विधेयक पास कर दिया गया.
इस विधेयक को लेकर कांग्रेस के सांसद शशि थरूर और समाजवादी पार्टी के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने इस पर अपना विरोध जताया था. इस विधेयक को लेकर शशि थरूर का कहना था कि क्या बिल पेश करने से पहले सरकार अपना कार्य पूरी तरह कर चुकी है? शशि थरूरी ने यह कहते हुए इस विधेयक का विरोध किया था कि किसी भी प्राचीन स्मारक या पुरातात्विक स्थल के समीप निर्माण कार्य करने से स्मारकों की सुरक्षा, उनके संरक्षण और उनका सौन्दर्य प्रभावित होगा.
इसका जवाब देते हुए संस्कृति राज्य मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि - "प्रतिबंधित इलाकों में निर्माण नहीं होने से केंद्र सरकार के कई सरकारी काम और विकास परियोजनाएं प्रभावित हो रहे हैं." शर्मा ने आगे कहा कि इस कानून में संशोधन की जरूरत इसलिए महसूस हो रही है ताकि सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न ना हो और लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखा जा सके. इस विधेयक के पास होने पर किसी भी स्मारक और पुरातात्विक स्थल के 100 मीटर के दायरे में केवल सरकारी कार्य के लिए निर्माण कार्य किया जायेगा, जबकि किसी भी तरह के निजी कार्य के निर्माण पर पूरी तरह पाबन्दी रहेगी.
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