नई दिल्ली: देश की सरकारें किसी भी घोटाले के बाद सख्त कदम उठाने की बात करती है, फिर वक़्त गुजरने के बाद वे सारे सख्त कदम, लापरवाही के चलते कमजोर पड़ जाते है. हाल ही में देश में पंजाब नेशनल बैंक का महाघोटाला सामने आया है, जिसके बाद सरकार की आँखें खुली है और सरकार, रिजर्व बैंक के मौजूदा सिस्टम को बदलने की फ़िराक में है, साथ ही सभी बैंक पर निगरानी रखने वाली नीतियों पर भी फेरबदल करने पर विचार कर रही है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार RBI के पास भी बैंकों में इस तरह के फ्रॉड को रोकने के लिए इंतजाम नहीं हैं. इस बात की भी समीक्षा की जा रही है कि क्या RBI अपनी जिम्मेदारी निभाने से चूक गया. हालाँकि सूत्रों के अनुसार सरकार इस बात की चिंता में है लेकिन 'अब पछताये होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत' यह पहला मौका नहीं है जब देश में इस तरह का घोटाला हुआ है. भाजपा के राज्य में इससे पहले किंगफ़िशर के मालिक विजय माल्या भी करोड़ो के घोटाले के बाद देश छोड़ कर भाग गए और हाल ही में पंजाब बैंक घोटाले के बाद रोटोमैक पेन बनानी वाली कपंनी पर विभिन्न बैंको का 800 करोड़ रूपये बकाया है.
शनिवार को चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यम ने RBI से बेहतर ढंग से निगरानी करने की मांग की थी. उन्होंने सवाल खड़े किए थे कि घोटाले के दौरान रेग्युलेटर या सुपरवाइजर यानी RBI क्या कर रहा था. उन्होंने कहा था कि ऑडिटिंग की आंतरिक व्यवस्था के अलावा बाहरी व्यवस्था भी होनी चाहिए.
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