नई दिल्ली : आम आदमी की सस्ती और सुविधाजनक सवारी मानी जाने वाली भारतीय रेल में जेब कतरे ही यात्रियों की जेब काटते पाए जाते हैं, लेकिन अब खुद रेलवे विभाग वेटिंग टिकट के जरिये ऐसे रेल यात्रियों, जिन्होंने सफर ही नहीं किया,उनकी जेब काटने के नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं. वैध दिखने वाले इन तरीकों से रेलवे के खाते में गत वर्ष लगभग 73 करोड़ रुपये जमा हो गए.
मध्यप्रदेश के नीमच जिले के सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ सेंटर को फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम (क्रिस) ने बताया कि वर्ष 2016-17 में चार्ट बनने पर वेटिंग लिस्ट में रहे 77,92,353 टिकट रद्द कराए गए, जिससे रेलवे को 72,38,89,617 रुपये की कमाई हुई. पिछले तीन साल में यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है.
उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष प्रतीक्षा सूची में रह गए यात्रियों के टिकट रद्द होने पर रेलवे को हर रोज लगभग 20 लाख रुपये की आमदनी हुई है. यही नहीं टिकट वापसी पर राशि में की जाने वाली कटौती में भी वृद्धि हुई है.पहले स्लीपर क्लास के आरएसी, वेटिंग टिकट को 48 घंटे पहले रद्द कराने पर 30 रुपये कटते थे, वहीं अब 60 रुपये कटते हैं, कंफर्म टिकट पर 60 की बजाय 120 रुपये कटने लगे हैं.यही नहीं टिकट वापसी के समय की अवधि भी घटा दी है.
सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ का यह तर्क वाज़िब है कि जिन यात्रियों के टिकट वेटिंग लिस्ट में रह जाते हैं, उनकी पूरी राशि वापस करना चाहिए.क्योंकि यात्री तो यात्रा करना चाहते हैं,लेकिन रेलवे ही उन्हें जगह उपलब्ध नहीं करा पाता है.
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