जयपुर: दिसंबर के महीने के शुरुआती दिनों में सुबह शाम होने वाली गुलाबी ठंड राजस्थान को अपने आगोश में ले चुकी है लेकिन विधानसभा चुनावों की गरमी इस खुशगवार मौसम पर भारी पड़ रही है। जानकारी के अनुसार बता दें कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से फुर्सत पाकर कांग्रेस भाजपा के स्टार प्रचारक अब देश के इस पश्चिमी प्रदेश में धूल और रेत फांकते हुए अपने अपने दलों को जिताने में जी जान एक किए हुए हैं।
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यहां बता दें कि हनुमान जी की जाति से लेकर चौकीदार के कुत्ते तक के जुमलों से भले ही स्टार प्रचारक मंचों से तालियां बटोर रहे हों और टीवी न्यूज चैनलों के पर्दे पर उन पर मारक बहसें हो रही हों, लेकिन जमीन पर आम लोगों के बीच इन मुद्दों का कोई असर नहीं दिख रहा है। यहां बता दें कि जमीन पर मुकाबला राहुल गांधी के किसान कार्ड और वसुंध्ररा राजे के महिला कार्ड के बीच है। किसानों की कर्ज माफी का कांग्रेस का वादा गावों और कस्बों में लोगों को छू रहा है तो भामाशाह कार्ड के जरिए महिलाओं के सशक्तीकरण की कोशिश से भाजपा को महिलाओं के समर्थन की उम्मीद है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव में लगी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
वहीं बता दें कि आम लोगों के बीच बातचीत करने पर सरकार के कामकाज से असंतोष की झलक जरूर मिलती है। अब अगले तीन चार दिनों में भाजपा इससे कैसे निजात पाती है या कांग्रेस कैसे इसे अपने पक्ष में हवा के रूप में बदलती है, इस पर ही चुनाव नतीजों का सारा दारोमदार है। इसके अलावा अलवर, बहरोड़, शाहपुरा, कोटपूतली, जयपुर शहर कहीं भी लोगों से बात कीजिए तो ज्यादातर लोग राज्य सरकार के कामकाज को लेकर खुश नजर नही दिखते हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके मंत्रियों के व्यवहार से सिर्फ आम जनता ही नहीं भाजपा कार्यकर्ताओं तक को शिकायत है। शाहपुरा में एक दुकान पर बैठे लोगों से बात होती है।शुरुआती झिझक के बाद लोग स्थानीय सीट और समीकरण की चर्चा करते हैं।
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