जयपुर. राजस्थान सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में काम कर रहे मुस्लिम कर्मचारियों की गिनती करने का आदेश देकर विवाद को न्योता दे दिया है. इस कदम से मुस्लिम लोगों के मन में चिन्हित किए जाने की आशंका घर कर गई है. आदेश के सामने आते ही मुस्लिम कर्मचारी आक्रोशित हैं. उनका कहना है कि इस तरह की गिनती करके सरकार क्या करना चाहती है. उन्हे सरकारी कर्मचारी की श्रेणी से हटाकर मुस्लिम कर्मचारी की श्रेणी में क्यों लाया जा रहा है.
फ़िलहाल ये कदम स्वास्थ्य सेवाओं में ही देखने को मिला है. हो सकता है कि दूसरे विभागों में भी जल्द ही ऐसा करने की तैयारी की जा रही हो. लेकिन एक बात स्पष्ट है कि ऐसा सिर्फ राजस्थान में नहीं किया जा रहा है. दूसरे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में भी मुस्लिम कर्मचारियों की गिनती या तो शुरू हो चुकी है या जल्द शुरू हो जाएगी.
राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह जानकारी कर्मचारियों के बेहतर विकास को लेकर रणनीति बनाने के लिए इकट्ठा की जा रही है. जबकि सूबे के स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ का कहना है कि उन्हें इस बारे में पूरी जानकारी अभी नहीं है. उन्होंने तथ्य मंगवाए हैं.
भरतपुर के सीएसएचओ गोपाल राम ने बताया कि उन्होंने अपने सहायक से सूची बनाकर 15 दिसंबर तक स्वास्थ्य विभाग को भेजने का आदेश दिया है. हालांकि, विभाग ने सफाई देते हुए कहा कि यह आदेश केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए दिया गया है.
शराबबंदी कानून के खिलाफ जन जागरूकता जरूरी : नीतीश
संरचना के सृजन की गति जारी रखने की जरूरत -जेटली
प्रचंड ने नेपाली कांग्रेसियों को दिया करारा ज़वाब