बस कंडक्टर से भगवान बनने तक का सफर नही था आसान

बस कंडक्टर से भगवान बनने तक का सफर नही था आसान
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इंसान हमेशा अपनी जिद के सामने हार जाता है किन्तु कुछ जिद ऐसी भी होती है, जो इंसान को एक महान इंसान के दर्जे तक पहुंचा देती है, किन्तु दुनिया में जिस इंसान को भगवान का दर्जा मिल जाये, तो वह कामयाबी अपने आप में एक मिसाल बन जाती है. जी हाँ हम एक ऐसे शख्स के बारे में बात कर रहे है, जिसको दुनिया ने जीते जी उसके अभिनय, कोशल और प्यार को देखते हुए भगवान का दर्जा दे दिया. हम बात कर रहे है सुपरस्टार रजनीकांत की, जिसने अपनी मेहनत और लगन के बल पर अपने नाम को सार्थक किया. 

रजनीकांत ने अपने जीवन में कभी किसी भी काम को छोड़ा-बड़ा नही समझा है, जो मिला, जैसे मिला, जहा मिला उसे लगन और मेहनत से करते गए, और उसका परिणाम आज एक सुपरस्टार भगवान के रूप में है. रजनीकांत का जन्म 12 दिसमबर 1950 को कर्नाटक के बैंगलोर में मराठी परिवार में हुआ था. वही इस सुपरस्टार का बचपन का नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है, किन्तु आज उन्हें सभी सिर्फ रजनीकांत, रजनी सर, या फिर फ़िल्मी दुनिया के भगवान के नाम से ही जानते है. 

रजनीकांत का यह सफर आसान नही था उन्होंने अपनी शुरुआत कारपेंटर की नौकरी से की थी, जिसके बाद कुली का काम किया. वही उन्होंने बतौर कंडक्टर बस में भी नौकरी की. किन्तु कारपेंटर, कुली व बस कंडक्टर का यह किरदार धीरे धीरे फिल्मो में ऐसा छाया कि अपनी सफलता के झंडे गाड़ दिए, जिनका परचम आज देश में ही नही बल्कि पुरे विश्व में लहरा रहा है.

रजनीकान्त ने अपनी फ़िल्मी शुरुआत बालाचंदर निर्देशित तमिल फिल्म 'अपूर्वा रागंगाल' (1975) से कि थी. जिसमे उन्हें विलन का किरदार दिया गया था. किन्तु अपनी पहली फिल्म का यह विलन आज देश और दुनिया का हीरो बन गया. उनकी खास शैली तथा संवाद बोलने का खास अंदाज़ उनकी जनप्रियता को अपनी और खींचता है. जिसमे सहसा रजनीकांत का नाम आते से ही एक खिला हुआ चेहरा सामने आ जाता है. 

रजनीकांत अभी तक 150 से ज्यादा फिल्मो में काम कर चुके है. वही उनके अभिनय का जलवा तो अभी भी लोगो के सामने फुट-फुट कर सामने आ रहा है. फ़िल्मी दुनिया में तो उन्होंने जहां बहुत सारे पुरुस्कार अपने नाम किये है वही कला जगत में अपने इस योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा भी उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चूका है. किन्तु अगर हम हम उनके जीवन कि बात करे तो एक साधारण से इंसान से फ़िल्मी दुनिया के भगवान बनने तक का सफर आसान नही रहा है. इसमें उनकी निस्वार्थ मेहनत और लगन के अलावा उन दिनों के दर्द भी जुड़े हुए है, जब वे अपने घर को चलाने के लिए कुली बनकर दुसरो का बोझ ढोया करते थे. उनकी इस कामयाबी में सड़को और गलियो कि वो धुल भी है, जो उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर को बनाने के लिए खायी है. बसों में  कंडक्टरी करते हुए लोगो के बिच लगे वो धक्के भी है, जिसने उनको इस मुकाम पर पहुँचाया. पर इन सब परिस्थितियों में से उभर कर सामने आने वाले फ़िल्मी दुनिया के भगवान रजनीकांत देश और दुनिया में सबके लिए एक प्रेरणा बन गए है.  यह वही कुली है, यह वही बस कंडक्टर  है, जिसकी एक झलक पाने को लोग अब बेताब हो जाते है. रजनीकांत के बारे में जितना कहा जाये कम है किन्तु उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में लोगो के दिलो में वे अपना घर बना चुके है, और एक ऐसा घर जिसे हर इंसान अपने जहन से मिटा नही सकता है.

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