इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना रमज़ान है जिसे अरबी भाषा में रमादान कहते हैं. रमादान शब्द 'रमाधा' से आया है जिसका मतलब होता है कि 'सूरज की गर्मी.' इस महीने का यह नाम इसलिए रखा गया था क्योंकि इस महीने में 'मुसलमानों के पाप जल जाते हैं.' लूनर कैलेंडर के अनुसार नौवें महीने यानी रमजान को 610 ईस्वी में पैगंबर मोहम्मद पर कुरान प्रकट होने के बाद मुसलमानों के लिए पवित्र घोषित किया गया था.
माना जाता है इसी महीने में अल्लाह ने बन्दों को क़ुरान का तोहफा दिया था, इसी उपलक्ष्य में दुनिया भर के मुस्लमान पुरे महीने रोज़े रखते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगते हैं. कहा जाता है कि रमज़ान के समय अल्लाह अपने हर बन्दे की ख्वाहिशें पूरी करते हैं. इंडोनेशिया के कुछ हिस्सों में मुसलमान लोग पवित्र महीना शुरू होने से पहले साफ पानी में खुद को जलमग्न कर देते हैं ताकि वे आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से शुद्ध हो सकें. इस तरह के स्नान को वहां ‘पादुसान’ कहते हैं.
मिस्र में रमजान के महीने के दौरान इफ्तार के समय सड़कों पर बड़ी-बड़ी लालटेनें लगाने की परंपरा है. इसके पीछे एक कहानी है कि मिस्र ने खलीफा मोएज एदिन अल्लाह का स्वागत काहिरा में लालटेन लटका कर ही किया था. पश्चिमी एशिया में रमजान के चौथे दिन को गारांगाओ के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन बच्चे पारंपरिक पोशाकों में सज धज कर कपड़े के थैले लिए पड़ोसियों के यहां जाते हैं और गारांगाओ गीत गाते हुए खजूर, टॉफी और बिस्किट जैसी छोटी मोटी चीजें जमा करते हैं.
हर नमाज़ में जरूरी है मगफिरत की दुआ
इसलिये रमज़ान को इतना महत्व देते है मुसलमान
रोज़ा में ऐसे रखें अपने शरीर को ऊर्जावान