नौमी तिथि मधु मास पुनीता, सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥
मध्य दिवस अति सीत न घामा, पावन काल लोक बिश्रामा ॥
आज मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म दिन राम नवमी है. आज राम जन्मोत्सव पर अयोध्या में रामलला को सात पोशाख मिलती है. जिसके बाद साल भर सप्ताह के प्रत्येक दिन अलग-अलग रंग की पोशाख राम जी को धारण कराई जाती है. रविवार को गुलाबी, सोमवार को श्वेत, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को क्रीम तथा शनिवार को नीले रंग की पोशाख धारण कराए जाने की परंपरा है. इस परंपरा का पालन गर्भगृह में स्थापित रामलला के साथ भरत, लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न के विग्रहों की पोशाख में होता है.
जन्मोत्सव के मौके पर परम भक्त हनुमान एवं भाइयों सहित रामलला नई पोशाख में सुशोभित हो रहे होते हैं. इस उत्सव के आयोजन की तैयारी कई दिनों पहले ही कर ली जाती है और रामजन्म बड़े धूम धाम से मनाया जाता है. जन्मोत्सव के लिए रामदाना एवं सिंघाड़ा के आटा की पंजीरी, विभिन्न प्रकार के फल तथा दूध, दही, घी, शहद से युक्त 51 लीटर पंचामृत के भोग-प्रसाद का भी इंतज़ाम परिसर के पदेन रिसीवर मंडलायुक्त की ओर से किया जाता है.
मगर बदलते हालात और विवादों के कारण पर प्रकाश डालते हुए रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास कहते है कि, 1993 में शासकीय अधिग्रहण के बाद प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्ल नवमी का मौका रामलला की मुफलिसी पर मरहम लगाने वाला होता है. इसके साथ ही उन रामलला के प्रति विडंबना भी बयां होती है, जिनका मासिक चढ़ावा औसतन पांच लाख है और उन पर व्यय चौथाई भी नहीं होता.
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