नई दिल्ली : दुष्कर्म जैसे गंभीर मामले में जब राज्य सरकारें संवेदनहीनता दिखाए तो देश की शीर्ष अदालत को कड़ी टिप्पणी करना जरुरी हो जाता है. दरअसल दुष्कर्म पीड़ितों को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा मात्र 6500 रुपये दिए जाते हैं इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि छोटी राशि देकर क्या वह चैरिटी कर रही है?
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश उन राज्यों में शामिल हैं जिसे निर्भया फंड योजना के तहत सबसे अधिक राशि मिलती है.इसके बावजूद भी पीड़ितों को इतनी कम राशि दिए जाने पर गुरुवार को न्यामयूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मध्य प्रदेश के हलफनामे पर सरकार से सवाल पूछा कि , बलात्कार पीड़ितों के लिए क्या आपकी नजर में बलात्कार की कीमत 6500 रुपये है .
आपको बता दें कि एमपी में 1951 बलात्कार पीड़ित हैं, जिन पर सरकार ने सिर्फ एक करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इस मामूली रकम पर दुःख व्यक्त कर कोर्ट ने इसे संवेदनहीनता करार दिया. निर्भया फंड पर हरियाणा सरकार की ओर से भी हलफनामा नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजी दिखाई.
स्मरण रहे कि गत माह सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा था कि उन्हें निर्भया फंड के तौर पर कितनी राशि प्राप्त हुई, उनमें से कितनी राशि खर्च और कितनी राशि शेष है. पीठ ने अब सभी राज्यों को चार हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए हैं.
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