ओम के उच्चारण से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. इसका उच्चारण करने से मस्तिष्क में आने वाले नकारात्मक विचारों को दूर कर, सकारात्मक ऊर्जा का विकास करता है. शरीर के तंत्र सुचारु होकर ठीक ढंग से कार्य करते हैं तथा रक्त का संचार एक समान होता हैं, जिससे ब्लड प्रेशर एवं ह्रदय संबधी रोगों में लाभ होता है.
विद्या- बुद्धि की प्राप्ति- जिसकी स्मरण शक्ति कमजोर हो, पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थी और अधिक दिमाग और बोलचाल का काम करने वाले व्यक्तियों के लिए यह सर्वोत्तम उपासना है. प्रात:काल पूर्व दिशा की ओर मुंह कर, ज्ञान मुद्रा में बैठ जाएं तथा अधखुली आंखों से केसरी रंग के महामंत्र ऊं का ध्यान अपनी दोनों भौहों के बीच में करें. कम से कम 108 बार इसी विधि से ओम का उच्चारण करें. इस उपासना से बुद्धि का विकास होता है, वाणी प्रखर होती है, ओजस्विता आती है. जाप के बाद आंखों को धीरे से बंद कर, अपनी हथेलियों को रगड़कर समस्त अंग पर लगाने से अंग पुष्ट होते हैं एवं शरीर में कांति आती है.
धन की वृद्धि- जिसके यहां धन का अभाव हो, ऋण की अधिकता हो, दरिद्रता, व्यापार में हानि से परेशान हों, धन रुकता नहीं हो तथा कोई भी कार्य करने में बाधा आती हो, उन्हें पीले वस्त्र धारणकर, पीले आसन पर बैठ पीले रंग के ऊं का ध्यान करना चाहिए. यह कार्य आप दिनभर में कभी भी कर सकते हैं, किंतु सूर्योदय या सूर्यास्त के समय किया जाए, तो ज्यादा लाभकारी होता है. जाप के तत्काल बाद गर्म पदार्थों का सेवन नहीं करें. प्रतिदिन पंद्रह मिनट तक यह ध्यान, जाप करने से दरिद्रता और कामों में आने वाली बाधाएं दूर होने लगती हैं.
ये उपाय करेगा धन की समस्याओ को समाप्त