इंडियन क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट्स के अनुसार 2016 की तुलना में 2017 में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति पर अत्याचार बढ़े है, इसी को ध्यान में रखते हुए हाल ही में बदले हुए अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 को लेकर अ.जा. और अ.ज.जा. आयोग का प्रतिनिधिमंडल बुधवार को राष्ट्रपति से मिला और इस विषय पर फिर से समीक्षा करने पर चर्चा की.
अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 के तहत अपराध में सुप्रीम कोर्ट ने नए दिशा निर्देश जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि ऐसे मामले में अब पब्लिक सर्वेंट की तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी. इतना ही नहीं गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जांच जरूरी है और गिरफ्तारी से पहले जमानत भी दी जा सकती है. न्यायमूर्ति आदर्श गोयल और यू यू ललित की पीठ ने कहा कि कानून के कड़े प्रावधानों के तहत दर्ज केस में सरकारी कर्मचारियों को अग्रिम जमानत देने के लिए कोई बाधा नहीं होगी.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2015 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अत्याचार की रोकथाम के लिए है. इसमें कठोर प्रावधानों को सुनिश्चित किया गया है. यह अधिनियम प्रधान अधिनियम में एक संशोधन है और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) (पीओए) अधिनियम,1989 के साथ संशोधन प्रभावों के साथ लागू किया गया है.
सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करे - उदित राज
सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाई