देश की केंद्र सरकार लगातार ऐतिहासिक और सार्वजनिक संपत्तियों को निजी हाथों में देने का काम कर रही है, अब एक बार केंद्र सरकार की तरफ से इस तरह का मामला सामने आया है जिसमें केंद्र सरकार ने लाल किले की देखरेख की जिम्मेदारी करोड़ों रुपए में प्राइवेट कम्पनी डालमिया ग्रुप को दे दी है. इसके बाद ही देश की विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार के इस फैसले की निंदा की है.
इस मामले में कांग्रेस, माकपा, टीएमसी आदि विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर हमला बोलै है, विपक्ष के अनुसार आजादी की प्रतीक कुछ इमारतों को सरकार बड़े पैमाने कॉरपोरेट घरानों को सौंप रही है. वहीं मंत्रालय ने इस मामले में एक बयान जारी कर कहा है कि यह सहमति पत्र (एमओयू) लाल किला और इसके आस पास के पर्यटक क्षेत्र के रख-रखाव और विकास के लिए है.
इस मामले में ममता बनर्जी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि 'क्या सरकार देश की ऐतिहासिक इमारतों की देखभाल भी नहीं कर सकती?' केंद्र सराकर ने डालमिया ग्रुप के साथ यह डील पांच साल के लिए की है जिसमें सराकर 25 करोड़ रुपए चुकाएगी, हालाँकि पहले किसी भी सरकार ने इस तरह के कदम नहीं उठाये है यह पूरी तरह से देश के पैसे की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है.
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