नई दिल्ली : एयरलाईन कंपनी स्पाइसजेट ने अपनी फ्लाईट में से एक दिव्यांग महिला को उतारना महंगा पड़ गया। इस मामले में जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कंपनी को हर्जाने के तौर पर 10 लाख रूपए का फटका लग गया। मिली जानकारी के अनुसार फरवरी 2012 में एयरलाईन ने दिव्यांग यात्री और अदव्यांग अधिकार कार्यकर्ता जीजा घोष को प्लेन में से उतार दिया था। दरअसल कोलकाता की निवासी जीजा घोष के पास कोलकाता हवाई अड्डे पर वैध बोर्डिंग पास था। मगर इसके बाद भी उसे प्लेन से उतार दिया गया
दरअसल उसे अयोग्य समझा गया। इस बात को दूसरे यात्रियों के लिए खतरा भी माना गया। उल्लेखनीय है कि घोष को मस्तिष्क पक्षाघात है। और उनकी उम्र 46 वर्ष है। हालांकि इस मामले में एयरलाईन कंपनी ने उनसे माफी मांगी। हालांकि उन्होंने न्यायालय में वाद भी दायर किया। उन्होंने भारत में नागरिक उड्डयन के दिशा - निर्देशों में बदलाव की मांग भी की।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में एयर लाईन कंपनी को 10 लाख रूपए हर्जाना देने का आदेश भी दिया। न्यायालय ने इस मामले में जीजा के पक्ष में फैसला दिया तो जीजा घोष ने इसे दिव्यांगों की जती बताया। उन्होंने कहा कि सभी एयरलाईंन्स दिव्यांगों के साथ अच्छा बर्ताव नहीं करती हैं।