नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सिख समुदाय से जुड़े चुटकुलों को रेगुलेट करने के संबंध में निर्देश देने में असमर्थता जाहिर करते हुए कहा कि अदालतें नागरिकों के लिए नैतिक दिशा-निर्देश जारी नहीं कर सकती हैं।
जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस आर भानुमति की पीठ ने कहा कि अदालत इस बारे में कोई व्यवस्था नहीं दे सकती कि लोगों को सार्वजनिक स्तर पर किस तरह से व्यवहार करना चाहिए और अगर वे ऐसा करते हैं तो उन्हें सड़कों पर कौन प्रवर्तित करेगा।
पीठ ने कहा, इस मुद्दे पर हमारा रुख स्पष्ट है कि अदालतें नागरिकों के लिए नैतिक दिशा-निर्देश जारी नहीं कर सकती हैं। हम किसी व्यक्ति के रेगुलेट के लिए दिशा-निर्देश जारी नहीं कर सकते।
इस मुद्दे पर अपनी राय के बारे में संकेत देते हुए पीठ ने कहा कि वह इंटरनेट और एसएमएस जैसे सार्वजनिक माध्यमों से सिखों से जुड़े अपमानजनक चुटकुलों के कथित तौर पर वाणिज्यिक प्रचार प्रसार के खिलाफ दायर कई याचिकों पर 27 मार्च को आधिकारिक आदेश जारी करेगी।
उच्चतम न्यायालय इस मुद्दे को विशाखा फैसले से जोड़े जाने की दलील से सहमत नहीं हुआ, जब न्यायालय ने कार्यस्थलों पर महिला सुरक्षा को लेकर कई निदेर्श जारी किया था।
इससे पहले प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि वह सिखों को लेकर अपमानजनक चुटकुलों के प्रसार पर रोक के लिए दिशा-निर्देश जारी करना चाहती है।
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