नीलम एक ऐसा रत्न है, जो जितनी तीव्रता से लाभ देता है, उतनी ही तेजी से हानी भी देता है. इसलिए इस रत्न को धारण करने से पहले सावधानी बेहद जरूरी है. नीलम रत्न को धारण करने से पहले जातक को कुंडली में शनि व लग्नेश का संबंध देख लेना चाहिए. यदि दोनों में शत्रुता का भाव हो तो नीलम को कभी अंगुली में धारण नहीं करें.
1-यदि मेष वृश्चिक, वृषभ, तुला, मकर और कुंभ लग्न वालों को तुरंत नीलम धारण करना चाहिए.
2-शनि अपने भाव से 6-8 या 12वें भाव में हो तो भी आप नीलम धारण कर सकते हैं.
3-कुंडली में यदि शनि सूर्य की तरह योग बनाए, ऐसी स्थिति में भी नीलम धारण कर लेना चाहिए.
4-यदि कुंडली में शनि 4-5-10 और 11वें भाव में हो तो भी आपको नीलम धारण करना चाहिए.
5-यदि जन्म कुंडली में शनि शुभ भाव का स्वामी होकर अस्त या वक्री हो तो नीलम धारण करना चाहिए.