25 मई को 16 साल बाद रोहिणी के साथ शनि जयंती का संयोग बन रहा है। इससे पहले 2001 में ऐसा संयोग बना था।सूर्य में रोहिणी के प्रवेश काल पर शनि आराधना का विशेष फल प्राप्त होता है। जो जातक शनि की साढ़ै साती, ढैया, महादशा, अंतरदशा, प्रात्यंतर दशा से प्रभावित हैं, उन्हें शनिदेव का तेलाभिषेक करना चाहिए। शनि चालीसा, शनिवज्रपिंजरकवच, शनिमहाकाल कवच आदि का पाठ करना भी श्रेयष्कर रहेगा।
यह प्रभाव भी आएंगे नजर
-काल नामक मेघ के कारण बारिश में वर्षा जनित रोग अध्ािक उत्पन्न् होंगे। देश के कुछ क्षेत्रों में अल्प वृष्टि की स्थिति निर्मित होगी।
-वर्षा ऋ तु में हेममाली नामक नाग योग देश के कुछ हिस्सों में अतिवृष्टि की स्थिति निर्मित करेगा। इससे जनधन की हानि होने की संभावना रहेगी।
-ज्येष्ठ मास में जब शनि, मंगल का सम सप्तक योग बनता है तो अग्नि तत्व प्रबल होते हैं। इससे भीषण गर्मी के साथ आगजनी की घटनाएं हो सकती हैं।