बिहार राज्य के सीएम नीतीश कुमार सरकार द्वारा विकास कार्यों की समीक्षा यात्रा पर है. इसी यात्रा के दौरान सीएम की नजर शेखपुरा जिले के अरीयरी ब्लॉक के डीहा फरपर गांव में एक टीले पर पड़ी. उनकी ये दिलचस्पी एक खोज साबित हुई. सीएम के साथ रहे एक अधिकारी के मुताबिक सीएम को टीले की बनावट को लेकर संदेह हुआ. इसके बाद उन्होंने इसे लेकर केपी सिंह जायसवाल रिसर्च इंस्टिट्यूट एंड बिहार हैरिटेज डिवेलपमेंट सोसायटी और दूसरे संस्थानों से बात की.
केपी जायसवाल शोध संस्थान के निदेशक और बिहार विरासत विकास समिति के कार्यकारी निदेशक डॉ विजय कुमार चौधरी शेखपुरा जिले के अरियारी प्रखंड के डीह फरपार गांव पहुंचे. उन्होंने वहां उस टीले की प्रारंभिक खुदाई कराई. वहां से उन्हें पाल कालीन सभ्यता की मूर्तियां मिली हैं. इसमें विष्णु की एक मूर्ति और महात्मा बुद्ध की दो तरह की मूर्तियां मिली हैं. इनमें से एक परिनिर्वाण मुद्रा तो दूसरी भूमिस्पर्श मुद्रा में है. पुरातत्व विशेषज्ञ डॉ. अनंत आशुतोष वेदी के नेतृत्व में डीहा गांव के विभिन्न हिस्सों से पुरातात्विक महत्व के नमूने लिए.
टीम पुरानी मूर्तियों के टुकड़े, बर्तन एवं मिट्टी के नमूने अपने साथ ले गई. मुख्यमंत्री ने केपी जायसवाल शोध संस्थान को बिहार के सभी पुरातात्विक महत्व के स्थानों पर विस्तृत शोध का निर्देश दिया था. वर्ष 2007 से 2013 के बीच कराए गए शोध के बाद करीब छह हजार से अधिक स्थलों की सूची बनाई गई थी. तब डीहा को सिर्फ बुद्ध एवं विष्णु की पालकालीन मूर्तियों के लिए इसमें रखा गया था.
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