पूजन पाठ हो या फिर कोई मांगलिक कार्य ही क्यों न हो, शुभ मुर्हूत देखा जाता है। यदि मुर्हूत नहीं देखा जाये तो फिर चैघड़िया देख ले तथा किसी शुभ कार्य या पूजन आदि को किया जाना चाहिये। मुर्हूत देखे बिना भले ही एक बार विशेष अवसरों पर पूजन पाठ आदि कर लिया जाये लेकिन गलत चौघड़िया में यदि पूजन आदि कर ली जाये तो फिर वह निष्फल ही माना जायेगा। इसलिये विशेष अवसरों पर किये जाने वाले शुभ कार्यों के लिये चौघड़िया देख लेना चाहिये। चौघड़िया देखना बहुत सरल है और यह कैलेण्डरों के साथ ही पंचांग में रहता है।
यह है शुभ चौघड़िया- अमृत, शुभ, लाभ और चर को उत्तम चौघड़िया माना गया है। इनमें से अमृत तथा शुभ के साथ ही लाभ चौघड़िया को पहले देखे, फिर भी यदि कोई कार्य करना ही है तो फिर चर का भी चौघड़िया देखा जा सकता है।
इनमें कार्य करने से बचे- उद्वेग, रोग और काल के चौघड़िया में मांगलिक कार्य या विशेष अवसरों पर पूजन, देव स्थापना आदि के कार्य नहीं किये जाना चाहिये। चौघड़िया दिन और रात में समय के हिसाब से होते है।