भारत में अक्सर देखा जाता है कि पुरूष हो या महिला बड़े हो या बुजुर्ग देश मे सभी प्रकार लोग सेक्स जैसे विषय पर बात करने से कतराते है. जबकि यह सबकी जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा माना जाता है. लेकिन नोबल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने इस विषय को अब नई शिक्षा नीति में शामिल करने के लिए सरकार से आग्रह किया है. कैलाश सत्यार्थी वीरवार को पी.यू. के फाऊंडेशन डे पर कैंपस में पहुंचे हुए थे. उन्होंने आगे कहा कि बच्चो को अब व्यावहारिक शिक्षा, गुड टच-बैड टच शिक्षा के अलावा उन्हें यौन सम्बन्धी मामले के बारे मे भी पढ़ाया जाएं. इस बारे में मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी उनसे सहमति जताई है.
पी.यू. के लॉ अॅाडिटोरियम में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि आधुनिक युग में सायबर मीडिया का दुरूपयोग हो रहा है. पोर्न फिल्मो और बढ़ते इंटरनेट के कारण बच्चो पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. इसके लिए सरकार द्वारा कई प्रकार के वैध नियमो को तैयार किया जा सकता है. बच्चो के लिए अच्छी सुरक्षा और उनकी पहुंच में ये पोर्न साइट्स ना हो इसके लिए कोई फिल्टर या लॉक सिस्टम विकसित किया जाए.
बच्चो को बोलना जरूरी
सत्यार्थी ने बताया कि आज के बच्चे असुरक्षित और घुटन महसूस करते है. आज-कल के बच्चे क्रोध, हताश, और दुर्व्यवहार को अपना रहे है. लेकिन अब बच्चो को अपने मुंह को खोलने की जरूरत है. उन्हें अब बोलना पड़ेगा. बच्चो पर यौन सम्बन्धी मामले में 70 प्रतिशत दोषी परवार के लोग या रिश्तेदार ही रहते है. करीब 50 प्रतिशत बच्चो के साथ विद्यालय, समाज, या घर में शोषण जैसा दुष्कर्म होता है. ऐसी रिपोर्ट यूनिसेफ और सरकार ने 10 साल पहले जारी की थी. हालांकि इसे गंभीरता से नहीं लिया गया.
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