नई दिल्ली: शिवसेना ने इस बार मुखपत्र 'सामना' के जरिए सोनिया गांधी की 'डिनर डिप्लोमेसी' पर हमला किया है. शिवसेना ने सामना के एक संपादकीय में पूछा है कि सोनिया की डिनर पार्टी में शामिल हुए दलों का कितना जनाधार है? वाकई में सोनिया करने वाली क्या हैं? क्या इनके सहारे वह 2019 में भाजपा को सत्ता में आने से रोक पांएगी? पार्टी ने कहा कि कांग्रेस की कमान राहुल के कंधे पर होने के बावजूद सोनिया को डिनर डिप्लोमेसी के लिए आगे आना पड़ा. यह भी कहा कि अगर राहुल ने डिनर पार्टी का न्योता दिया होता तो कितने नेताओं ने उसे स्वीकारा होता, यह भी चर्चा का विषय है.
शिवसेना ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सोनिया की डिनर पार्टी में शामिल तेजस्वी यादव, रामगोपाल यादव, सतीश मिश्र और शरद पवार जैसे कुछ गिने-चुने लोगों का तो महत्व है, मगर इसमें शामिल ज्यादातर ऐसे न जाने कितने रात्रि भोजों में आते-जाते रहते हैं. शिवसेना ने यूपी और बिहार उपचुनाव में भाजपा को मिली हार का भी जिक्र किया. मगर इस जीत को भुनाने को लेकर विरोधियों की क्षमता पर सवाल भी उठाए.
शिवसेना ने कहा कि यूपी-बिहार उपचुनाव के नतीजे वाकई में ऊर्जा देने वाले हैं. लोगों का भ्रम टूट चुका है. मगर उनके बीच के असंतोष को प्रज्जवलित करने वाला नेतृत्व विरोधियों के पास नहीं हैशिवसेना ने यह भी कहा कि डिनर पार्टी में शामिल हुए बड़े नेताओं के अपने-अपने हित हैं. राहुल गांधी को सबसे पहले कांग्रेस संगठन की ओर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि पार्टी ने उनका कद तो बढ़ा दिया है मगर उनके नेतृत्व में कितने विपक्षी चुनाव लड़ने को तैयार हैं, यह भी एक अहम सवाल है.
सोनिया गांधी की डिनर पार्टी को बीजेपी ने बनाया बवाल
अखिलेश, माया, ममता ने कहा सोनिया के डिनर को ना