नई दिल्ली: एक माँ जब अपने बच्चे को स्तनपान कराती है तो वह नवजात माता के एक स्तन से दूध पीता हुआ उसके दूसरे स्तन पर लात मरता है, लेकिन माँ इससे क्रोधित नहीं होती. इसीलिए तो कहा गया है की संसार में लात खाकर भी भोजन देने की शक्ति किसी में है तो वो 'माँ' में है. लेकिन दिल्ली में रहने वाली इस औरत को 'माँ' कहना भी इस ईश्वर तुल्य शब्द के लिए गाली होगा.
दिल्ली के विनोद नगर में रहने वाली नेहा तिवारी अपनी 25 दिन की नवजात बच्ची को सिर्फ इसलिए कूड़े के ढेर में फेंक आई क्योंकि, बच्ची के रोने से उसकी नींद हराम हो रही थी. उसे यह भी ख्याल नहीं आया कि, जहां वो अपने शरीर के अंश को छोड़ आई है, वहां आवारा कुत्ते और ज़हरीले कीड़े फिरते रहते हैं जो न जाने उस मासूम का क्या हाल करेंगे. उल्टा वहां से आने के बाद यह कलियुगी माँ घर आकर बच्ची के ग़ुम हो जाने का ढोंग करने लगी.
लेकिन ईश्वरीय कृपा से कूड़े के ढेर के पास किसी राहगीर को एक मासूम बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी, जो पॉलीथिन में लिपटी हुई कूड़े में पड़ी थी, जिसके बाद वहां के लोगों ने पुलिस को सुचना दी. स्थानीय लोगों में से बच्ची को कोई नहीं पहचान रहा था. लेकिन एक बच्चा, जिसने नेहा को कुछ फेंकते हुए देख लिया था, वो पुलिस को नेहा के घर तक लेकर गया. पुलिस ने बच्ची को जीटीबी अस्पताल में भर्ती कर, नेहा को हत्या की कोशिश करने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया.
लेकिन अपनी ही माँ से पीड़ित वो मासूम शायद अब जीना नहीं चाहती थी और उसने इलाज़ के दौरान अपनी आँखें सदा के लिए बंद कर ली. बच्ची के पिता सौरभ तिवारी अपनी बच्ची को इस तरह देख बिलख पड़े. पुलिस ने अब नेहा के खिलाफ हत्या की कोशिश के साथ हत्या करने की धारा भी जोड़ दी है. आरोपी को सजा मिल जाएगी, पिता के आंसू भी सूख जाएंगे, पर अफ़सोस तो सिर्फ इस बात का है कि, 25 दिन का जीवन लिए धरती पर आई वो मासूम अपनी माँ का स्नेह भी ना पा सकी.
जल्लाद पिता ने बेटी को जिन्दा जलाया