पीएनबी घोटाले के साइड इफेक्ट

पीएनबी घोटाले के साइड इफेक्ट
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पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 11,400 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद बैंकों में बढ़ी सतर्कता के कारण से लघु उद्योगों के लिए साख-पत्र और ऋण गारंटी पत्र (एलओसी, एलयूटी) जारी करवाने और कार्यशील पूंजी प्राप्त करने में कठिनाइयां आने का मामला सामने आया है. इसे पीएनबी घोटाले का साइड इफेक्ट समझा जा सकता है.

इस बारे में पीएचडी चैंबर की विदेशी विनिमय समिति के चेयरमैन  श्याम पोद्दार ने बताया कि पीएनबी घोटाला सामने आने के बाद सूक्ष्म, लघु एवं मझोले (एमएसएमई) उद्यमों के समक्ष कार्यशील पूंजी की समस्या बढ़ गई है. छोटे उद्योगों पर इसका असर ज्यादा हुआ है.उद्योगों को मिलने वाले कर्ज के लिए नियमों को काफी कठोर कर दिया है. इसी कारण डालर की मांग तेजी से बढ़ी है. रिजर्व बैंक ने भी 12 फरवरी बैंकों को एलओयू और एलओसी को फिलहाल रोके रखने के निर्देश दिए है. वहीं अच्छे रिकार्ड वाले ग्राहकों के लिए भी मार्जिन मनी बढ़ा दी है. यही नहीं सोना, हीरा कारोबारियों से तो 110 प्रतिशत तक मार्जिन मनी मांगी जा रही है .

वहीं पीएचडी उद्योग मंडल के अध्यक्ष अनिल खेतान का कहना था कि बैंकिंग प्रणाली की असफलता से कुछ लोगों के गलत कार्यों का खामियाजा पूरे उद्योग जगत को भुगतना पड़ रहा है.रिजर्व बैंक और अन्य बैंकों को अपनी आंतरिक लेखा परीक्षा प्रणाली को चुस्त दुरुस्त बनाना चाहिए अन्यथा विदेशी निवेशकों में भी इसका गलत संकेत जायेगा.

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