नई दिल्ली : पंजाब के मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू के तीस साल पुराने बहुचर्चित रोडरेज मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इसके बाद अब सबकी निगाहें इस फैसले पर टिक गई है , क्योंकि यह फैसला नवजोत सिंह सिद्धू का राजनीतिक भविष्य तय करेगा.
उल्लेखनीय है कि कल मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सिद्धू ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि इस मामले में कोई भी गवाह स्वयं सामने नहीं आया था, बल्कि जिन भी गवाहों के बयान दर्ज हुए हैं उनको पुलिस सामने लाई थी.उन्होंने कहा सभी गवाहों के बयान विरोधाभासी हैं. यहां तक की मुख्य गवाह के बयान भी एक दूसरे से अलग हैं. इस अवसर पर सिद्धू ने गवाहों की योग्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या वो मेडिकल विशेषज्ञ थे, जो उन्हें मालूम था कि यदि घायल को तुरंत अगर अस्पताल नहीं पहुंचाया गया तो उनकी मौत हो जाएगी.
आपको बता दें कि इस मामले में पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि हाईकोर्ट के फैसले को यथावत रखा जाए. जबकि अभी नवजोत पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं.जब यह मामला हुआ था तब सिद्धू क्रिकेट खिलाड़ी थे , जिन्होंने बाद में भाजपा में प्रवेश ले लिया था. पंजाब की अमरिंदर सरकार अपने पुराने बयान पर अब भी कायम है. इसलिए यह मामला सबकी निगाहों में आ गया है.स्मरण रहे कि हाईकोर्ट ने रोड रेड मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल की सजा सुनाई थी. यदि सुप्रीम कोर्ट इस सज़ा को बहाल रखने का फैसला दे देती है तो नवजोत सिंह सिद्धू को मंत्री पद से भी हाथ धोना पड़ेगा और जेल जाना पड़ेगा.
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