मुंबई। ऐक्टर तुषार कपूर की जिंदगी अब अपने बेटे लक्ष्य के इर्द-गिर्द घूमती है। एक एकल पिता के रूप में वह अपने बेटे 'लक्ष्य' को बेहतरीन परवरिश देने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वैसे, फादरहुड के तमाम खास पलों का लुत्फ उठा रहे तुषार इन दिनों अपनी पिछली रिलीज फिल्म 'गोलमाल अगेन' की सुपर सफलता को लेकर भी बेहद उत्साहित हैं। 'गोलमाल' का किरदार 'लकी' के बारे में बोले की मुझे तो डर ही लगा था कि ये गूंगा किरदार है तो क्या कर पाएगा। फिर रोहित शेट्टी ने एक वर्कशॉप की।
वहां थिएटर आर्टिस्ट विकास कदम को बुलाया गया, जो मराठी नाटक में इस किरदार को कर चुके हैं। उन्होंने ट्रेनिंग दी। मेरी भाव-भंगिमाओं, बॉडी लैंग्वेज, गूंगे होने के बावजूद एक्सप्रेशन के तरीके वगैरह पर काम किया, तब लगा कि ये किरदार नोटिस हो सकता है। फिर जब शूटिंग शुरू की तब लगा कि लोग इसे पसंद करेंगे। अच्छा लगता है कि मैंने 'गोलमाल' के समय जो एक रिस्क लिया था, उसे चौथी बार भी लोगों ने इतना प्यार किया। लोग मुझे इस किरदार से याद रखते हैं, तो मेरे लिए अच्छा है कि गोलमाल जब भी बनेगी मेरे बगैर नहीं बनेगी। मैंने बहुत तरह की फिल्में की हैं।
कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों का हिस्सा रहा हूं। कभी-कभी करियर बहुत तेजी से चला है। कभी कभी बहुत धीमा हो गया है। मेरे लिए ऐसा कभी नहीं रहा कि अभी ये फिल्म चल गई, तो मेरा दौर अच्छा जाएगा। कभी हिट फिल्मों के बाद काम ठंडा रहा। कभी फिल्में नहीं चली, लेकिन फिल्में मिलती गईं। अप्रत्याशित-सा करियर रहा है मेरा। इसलिए मैं इस बारे में ज्यादा सोचता ही नहीं, क्योंकि आप जितना सोचेंगे, उतना उलझते जाएंगे।
फिल्मी दुनिया मौसम की तरह है। यहां कभी भी कुछ भी हो जाता है। पिता बनने के बारे में बताया कि,पिता बनने के बाद आप निश्चिंत हो जाते हैं। एक भरोसा आता है कि आखिर में सब ठीक हो जाएगा। इसलिए पिता बनने के बाद मैं भी ज्यादा शांत और फोकस्ड हो गया हूं। अब एक वजह मिल गई कि घर जाने की। जिंदगी का 'लक्ष्य' मिल गया है। ऐसा लगता है कि कोई मिल गया है, जिससे जिंदगी संपूर्ण हो गई है। अब ज्यादा चिंता नहीं होती। जब आप अपने बच्चे के साथ होते हैं, उसके साथ घंटा-दो घंटा खेलते हैं, तो सारी चिंता दूर हो जाती है।
जब शूटिंग कर रहा हूं, तो समय का तालमेल बिठाना थोड़ा मुश्किल होता है। 'गोलमाल 4' की शूटिंग के दौरान मैं लक्ष्य को दोनों शेड्यूल में हैदराबाद लेकर गया था। आउटडोर शूट में मैं उसे लेकर जाता हूं। पैकअप के बाद उसके साथ समय बिताता हूं। वो कहते हैं न, जहां चाह, वहां राह और आपका बच्चा भी जानता है कि आप भले ही उसके साथ कम समय बिताएं, लेकिन आप चाहते हैं कि उसके साथ समय बिता पाएं। ये सिर्फ समय बिताने की बात नहीं है, अच्छा समय बिताने की बात है।
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